Haryana Mahila Chaupal: हरियाणा की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में अब महिलाओं की भागीदारी और भूमिका को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी राज्य की महिलाओं को एक खास तोहफा देने जा रहे हैं। सरकार 18 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से 754 महिला चौपालों की स्थापना करेगी, जिससे ग्रामीण महिलाएं सामाजिक, सांस्कृतिक और सामूहिक गतिविधियों में भाग ले सकेंगी।
24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस पर हो सकती है औपचारिक घोषणा
24 अप्रैल 2025 को पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में होने वाले पहले राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर इस योजना की औपचारिक घोषणा की जा सकती है। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्रीय स्तर पर बिहार के मधुबनी जिले से संबोधन भी होगा, जिसे हरियाणा समेत पूरे देश में सीधा प्रसारण किया जाएगा।
6000 निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि होंगे कार्यक्रम में शामिल
इस विशेष आयोजन में पंचायती राज संस्थाओं के लगभग 6000 निर्वाचित प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस मौके पर महिला चौपाल परियोजना को धरातल पर लाने की योजना का एलान कर सकते हैं। यह कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण, ग्राम विकास और पंचायत आधारित प्रशासन की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
पहले चरण में 754 गांवों में स्थापित होंगी महिला चौपालें
सरकारी योजना के पहले चरण में 754 गांवों को चयनित किया गया है, जहां महिला चौपालों की स्थापना की जाएगी। इसमें उन्हीं गांवों को प्राथमिकता दी गई है, जहां पहले से कोई इमारत मौजूद है लेकिन उपयोग में नहीं है । इन इमारतों को मरम्मत और नवीनीकरण के बाद चौपाल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए फील्ड सर्वे भी किया गया है।
छात्राएं गृहिणी और बुजुर्ग महिलाएं होंगी सबसे लाभान्वित
महिला चौपालों का उद्देश्य केवल सामाजिक बैठकों तक सीमित नहीं होगा, बल्कि ये चौपालें महिलाओं के लिए एक सामुदायिक मंच बनेंगी, जहां वे
- सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेंगी,
- मानसिक तनाव से राहत पाएंगी,
- सामूहिक संवाद और योजनाओं पर चर्चा कर सकेंगी,
- और स्थानीय स्तर पर चलने वाली योजनाओं की जानकारी ले सकेंगी।
बेटियां, गृहिणी और वृद्ध महिलाएं चौपाल के माध्यम से एक सुरक्षित और सामूहिक स्थान पा सकेंगी।
600 से ज्यादा परित्यक्त इमारतों को मिलेगा नया जीवन
योजना में यह भी प्रावधान है कि जहां नई इमारतें बनाने की आवश्यकता नहीं है, वहां पहले से मौजूद और उपयोग में नहीं आने वाली 600 से ज्यादा इमारतों को मरम्मत के बाद उपयोग में लाया जाएगा। इससे ना केवल संसाधनों की बचत होगी, बल्कि इन इमारतों का सकारात्मक उपयोग भी सुनिश्चित किया जाएगा।
सरपंचों को सौंपा जाएगा संचालन का ज़िम्मा
इस योजना को तेज़ी से लागू करने के लिए सरपंचों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। पंचायत स्तर पर ही इमारतों की पहचान, मरम्मत और चौपाल संचालन की निगरानी की जाएगी। इससे स्थानीय स्वराज और प्रशासनिक भागीदारी को भी बढ़ावा मिलेगा।
सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी काम करेंगी चौपालें
राज्य सरकार की योजना है कि इन महिला चौपालों को केवल मीटिंग हॉल नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामुदायिक केंद्रों के रूप में विकसित किया जाए। यहां
- नाटक, संगीत, नृत्य,
- सामाजिक विषयों पर कार्यशालाएं,
- स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता से जुड़े कार्यक्रम
आयोजित किए जा सकेंगे।
18 करोड़ से ज्यादा की लागत भविष्य के लिए एक मजबूत निवेश
इस योजना पर कुल अनुमानित खर्च 18 करोड़ रुपए से ज्यादा आंका गया है। लेकिन यह केवल आर्थिक निवेश नहीं, बल्कि महिलाओं के सामाजिक विकास और मानसिक सशक्तिकरण का आधार भी है। यह चौपालें आने वाले वर्षों में महिलाओं के लिए सशक्त अभिव्यक्ति का केंद्र बनेंगी।
महिलाओं के लिए नया प्लेटफॉर्म गांवों में बदलेगा माहौल
हरियाणा सरकार की यह योजना सिर्फ चौपालों के निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गांवों में महिलाओं के सामाजिक-सांस्कृतिक नेतृत्व को आगे लाने का प्रयास है। यह पहल ग्रामीण भारत में महिलाओं की भूमिका को और मजबूती देगी और उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाएगी।