Haryana New Expressway: देश में सड़क नेटवर्क को मजबूती देने के लिए केंद्र सरकार लगातार सक्रिय है। इसी दिशा में एक और बड़ी योजना पर काम शुरू हो चुका है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से हरियाणा के पानीपत तक एक 750 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनाने की तैयारी की जा रही है। इस एक्सप्रेसवे के जरिए उत्तर प्रदेश के 19 और हरियाणा के 3 जिले आपस में जुड़ेंगे, जिससे औद्योगिक, सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों को नया बल मिलेगा।
कहां से कहां तक जाएगा यह ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे ?
यह ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से शुरू होकर हरियाणा के पानीपत जिले तक जाएगा। इस रूट में यह एक्सप्रेसवे निम्न जिलों को जोड़ेगा:
- उत्तर प्रदेश: गोरखपुर, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच, लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, शाहजहांपुर, बदायूं, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली
- हरियाणा: सहारनपुर (लगभग सीमा क्षेत्र से), कैथल (अपेक्षित रूट विस्तार में) और पानीपत
यह एक्सप्रेसवे पहले केवल गोरखपुर से शामली तक प्रस्तावित था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर पानीपत तक विस्तारित किया गया है, जिससे यह औद्योगिक कनेक्टिविटी में और भी अहम भूमिका निभाएगा।
एक्सप्रेसवे के जरिए मिलेगा तेज और सुरक्षित सफर
यह हाईवे न केवल जिले-दर-जिले को जोड़ेगा बल्कि यात्रा के समय को भी आधा कर देगा। उदाहरण के लिए, गोरखपुर से हरिद्वार की दूरी सामान्य तौर पर 12-13 घंटे में तय होती है, लेकिन इस एक्सप्रेसवे के बनने के बाद यह दूरी 8 घंटे में पूरी की जा सकेगी।
साथ ही, उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों से हरियाणा, पंजाब और दिल्ली तक का व्यापारिक और औद्योगिक यातायात सरल हो जाएगा।
टेक्सटाइल हब पानीपत तक सीधी पहुंच
पानीपत, जो देश का एक प्रमुख टेक्सटाइल और औद्योगिक शहर है, अब गोरखपुर जैसे दूरदराज के इलाकों से सीधे जुड़ जाएगा। इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के उद्यमियों, ट्रांसपोर्टर्स और व्यापारियों को बड़ा फायदा होगा। छोटे और मध्यम उद्योगों को पानीपत जैसे शहरों में रॉ मैटीरियल की आपूर्ति और प्रोडक्ट की डिलीवरी अब तेज और सुलभ हो सकेगी।
22 जिलों की अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
यह एक्सप्रेसवे सीधे तौर पर 22 जिलों की आर्थिक संरचना को प्रभावित करेगा। इसमें कई ऐसे जिले शामिल हैं जो अब तक विकास की मुख्यधारा से थोड़े कटे हुए माने जाते थे, जैसे बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर आदि।
इस हाईवे के माध्यम से इन जिलों में:
- नई इंडस्ट्रीज की संभावनाएं बढ़ेंगी
- युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे
- स्थानीय उत्पादों को बड़े बाजार मिलेंगे
- टूरिज्म और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा
DPR से लेकर निर्माण तक ICT फर्म की अहम भूमिका
NHAI ने इस परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार करने और ज़मीनी योजना का खाका खींचने के लिए दिल्ली की ICT फर्म को नियुक्त किया है। यह फर्म:
- रूट का सर्वे करेगी
- लागत का आकलन करेगी
- भूमि अधिग्रहण का खाका तैयार करेगी
- निर्माण के लिए योग्य ठेकेदारों का चयन भी करेगी
DPR तैयार होने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी, जिसके बाद निर्माण कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा।
तय समय सीमा में पूरा होगा काम
एनएचएआई के अधिकारियों के अनुसार, इस 750 किमी लंबे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण तीन वर्षों में पूरा किया जाएगा। काम को फेज़-वार चरणों में बांटा जाएगा, जिससे समयबद्ध तरीके से इसकी प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके।
एक्सप्रेसवे से जुड़े बड़े फायदे
| फायदा | विवरण |
| समय की बचत | यात्रा का समय औसतन 30-40% कम होगा |
| ईंधन की बचत | ट्रैफिक कम होने से फ्यूल खर्च में कमी |
| व्यापार को बढ़ावा | औद्योगिक शहरों से सीधा संपर्क |
| पर्यटन को बढ़ावा | हरिद्वार, मुरादाबाद जैसे धार्मिक पर्यटन केंद्रों तक बेहतर पहुंच |
| रोजगार के अवसर | निर्माण, लॉजिस्टिक्स और मार्केटिंग क्षेत्र में नए अवसर |
उत्तर भारत को मिलेगा नया विकास कॉरिडोर
गोरखपुर से पानीपत तक प्रस्तावित ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे उत्तर भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का एक और मील का पत्थर होगा। इससे न केवल उत्तर प्रदेश और हरियाणा को फायदा होगा, बल्कि यह परियोजना राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नेटवर्क में भी एक अहम भूमिका निभाएगी।