MP New Railway Line: मध्यप्रदेश के लोगों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। केंद्र सरकार ने इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन परियोजना को लेकर बड़ा कदम उठाया है। इस महत्वाकांक्षी रेल प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण हेतु 267.50 करोड़ रुपये का बजट आवंटित कर दिया गया है। यह राशि रेल लाइन के लिए ज़मीन खरीदने में खर्च की जाएगी। यह रेल लाइन धार, खरगोन और बड़वानी जिले के 77 गांवों से होकर गुजरेगी। रेलवे मंत्रालय पहले ही इन गांवों के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी कर चुका है।
गजट नोटिफिकेशन में शामिल किए गए 77 गांव
रेल मंत्रालय की तरफ से पहले ही इन 77 गांवों को अधिग्रहण प्रक्रिया में शामिल करने के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया था। इसी वर्ष महू तहसील के 18 गांवों की लिस्ट जारी हुई थी। इन गांवों में खेड़ी, चैनपुरा, कमदपुर, खुदालपुरा, कुराड़ाखेड़ी, अहिल्यापुर, नांदेड़, जामली, कैलोद, बेरछा, गवली पलासिया, आशापुरा, मलेंडी, कोदरिया, बोरखेड़ी, चौरड़िया, न्यू गुराडिया और महू कैंटोनमेंट एरिया शामिल हैं। इन सभी क्षेत्रों की जमीन को रेलवे प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित किया जाएगा।
तीन जिलों के आदिवासी अंचल से गुजरेगी रेल लाइन
इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन परियोजना धार, खरगोन और बड़वानी जैसे आदिवासी बहुल जिलों से होकर गुजरेगी। इसका सीधा लाभ इन इलाकों में रहने वाले लोगों को मिलेगा। अनुमान है कि इस परियोजना से करीब 1,000 गांवों को लाभ पहुंचेगा। इससे न केवल परिवहन की सुविधा बेहतर होगी बल्कि स्थानीय लोगों को रोज़गार और व्यापार के नए अवसर भी मिलेंगे।
मुंबई तक की दूरी होगी कम समय की होगी बचत
इस रेल लाइन के बन जाने से इंदौर से मुंबई की दूरी में भारी कमी आएगी। अभी इंदौर से मुंबई की दूरी लगभग 830 किलोमीटर है, जो इस परियोजना के पूरे होने पर घटकर 568 किलोमीटर रह जाएगी। यानी यात्री और मालगाड़ी दोनों के सफर में करीब 262 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी, जिससे न केवल समय बचेगा बल्कि यात्रा भी किफायती हो जाएगी।
सात सुरंगें और कई बड़े पुल होंगे शामिल
इस रेल प्रोजेक्ट की सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसमें मध्यप्रदेश के पहाड़ी इलाकों से गुजरने के लिए कुल 17.66 किलोमीटर लंबाई की सात सुरंगें बनाई जाएंगी। इनमें से सबसे लंबी सुरंग 6 किलोमीटर की होगी। इसके अलावा रेल लाइन के रास्ते में चंबल, नर्मदा, देव और गोई जैसी प्रमुख नदियों पर बड़े-बड़े पुल भी बनाए जाएंगे। इससे रेल मार्ग मजबूत, टिकाऊ और मौसम की चुनौतियों से सुरक्षित रहेगा।
16 पैसेंजर ट्रेनों का होगा संचालन राजस्व में होगा इजाफा
इस रेल लाइन के पूरा होने के बाद कुल 16 पैसेंजर ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। ये ट्रेनें इंदौर से मनमाड़ और वहां से आगे महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों तक यात्रियों को जोड़ेंगी। अनुमान है कि इस परियोजना से हर साल लगभग 900 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व रेलवे को मिलेगा। यह प्रोजेक्ट व्यावसायिक दृष्टि से भी बेहद लाभकारी सिद्ध होगा।
गति शक्ति योजना के तहत पीएमओ की निगरानी में है प्रोजेक्ट
इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन को भारत सरकार की “गति शक्ति योजना” के अंतर्गत शामिल किया गया है। यह योजना देशभर में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को गति देने के लिए चलाई जा रही है। खास बात यह है कि इस परियोजना की निगरानी सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा की जा रही है, जिससे इसके समय पर पूरा होने की संभावना काफी अधिक है।
कृषि और ग्रामीण विकास को मिलेगा बढ़ावा
चूंकि यह परियोजना ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों से होकर गुजरती है, इसलिए इसका सीधा प्रभाव वहां की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। किसानों को अपनी उपज को बड़े शहरों तक ले जाना आसान होगा। छोटे व्यापारी, मंडी संचालक और डेयरी उद्योग से जुड़े लोग भी इससे लाभांवित होंगे।
स्थानीय युवाओं के लिए बनेगा रोज़गार का साधन
रेल लाइन निर्माण कार्य से लेकर इसके संचालन तक, स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के कई अवसर खुलेंगे। निर्माण कार्यों में मजदूरी, मशीन ऑपरेटर, सुरंग निर्माण, ट्रैक बिछाने जैसे कार्यों में स्थानीय जनसंख्या को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, रेललाइन के बनने के बाद स्टेशन, सुरक्षा और अन्य सुविधाओं में भी स्थायी रोजगार का अवसर मिलेगा।
मध्यप्रदेश को मिलेगी तेज़ रफ्तार विकास की पटरी
इंदौर-मनमाड़ रेल परियोजना न केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है, बल्कि यह मध्यप्रदेश के विकास की नई रेखा खींचने जा रही है। इससे न केवल दूरी घटेगी, बल्कि यात्रा सरल होगी, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा और हज़ारों लोगों को रोजगार मिलेगा। 267.50 करोड़ की राशि से भूमि अधिग्रहण का कार्य प्रारंभ हो चुका है और आने वाले वर्षों में यह रेललाइन राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित होगी।