Private Schools New Rules: हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य के अराजकीय (प्राइवेट) स्कूलों में विद्यार्थियों को जबरन महंगी किताबें खरीदवाने की शिकायतों को गंभीरता से लिया है. बोर्ड के प्रवक्ता ने साफ कहा है कि अब ऐसे स्कूलों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी जो छात्रों और उनके माता-पिता को निजी प्रकाशकों (Private Publishers) की किताबें लेने के लिए मजबूर करते हैं.
सरकार का उद्देश्य
इस फैसले के पीछे हरियाणा सरकार की साफ मंशा है कि अभिभावकों पर अनावश्यक खर्च का दबाव न पड़े. अक्सर देखा गया है कि निजी स्कूल छात्र-छात्राओं को कुछ खास दुकानों से महंगी किताबें खरीदने का दबाव बनाते हैं. जिससे आम मध्यम वर्गीय परिवारों को काफी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब सरकार इस स्थिति को बदलना चाहती है और इसीलिए यह कदम उठाया गया है.
शिक्षा बोर्ड चलाएगा राज्यव्यापी चेकिंग अभियान
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने जानकारी दी है कि प्रदेशभर में जल्द ही एक विशेष चेकिंग अभियान चलाया जाएगा. इस अभियान के तहत विशेष उड़नदस्ते (Flying Squads) का गठन किया जाएगा, जो अलग-अलग जिलों के निजी स्कूलों में जाकर जांच करेंगे कि वहां कौन-कौन सी किताबें पढ़ाई जा रही हैं और क्या वे सरकार के निर्देशों के अनुसार हैं या नहीं.
नियमों की अवहेलना करने पर होगी कड़ी कार्रवाई
बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी भी स्कूल में जांच के दौरान यह पाया गया कि वहां निजी पब्लिशर्स की गैर-जरूरी और महंगी किताबें बच्चों को जबरदस्ती खरीदवाई जा रही हैं, तो उस स्कूल के खिलाफ शिक्षा बोर्ड की संबद्धता नियमावली के तहत कार्रवाई की जाएगी. इसमें स्कूल की मान्यता रद्द करने तक की कार्रवाई शामिल है.
शिक्षा के अधिकार और राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लंघन
बोर्ड के प्रवक्ता ने बताया कि महंगी और गैर-मान्यता प्राप्त किताबें लागू करना शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) दोनों का उल्लंघन माना जाएगा. इन दोनों नीतियों में साफ तौर पर कहा गया है कि विद्यालयों को केवल मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम की किताबें ही पढ़ानी चाहिए. ताकि छात्रों को समान अवसर मिलें और अभिभावकों पर अनावश्यक बोझ न बढ़े.
NCERT और SCERT की किताबें ही मान्य
बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि कक्षा 1 से 12वीं तक केवल NCERT या SCERT द्वारा प्रकाशित किताबें ही स्कूलों में मान्य होंगी. यदि किसी स्कूल को इन किताबों के अलावा किसी और किताब को पढ़ाना है, तो पूर्व अनुमति और उचित कारण के साथ स्कूल की वेबसाइट पर पूरी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी. इसके अलावा प्राचार्य और प्रबंधन समिति की मंजूरी भी अनिवार्य होगी.
स्कूलों को दिए गए सख्त निर्देश
हरियाणा शिक्षा बोर्ड ने प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों को लिखित निर्देश जारी करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि अब आगे से किताबों की खरीद को लेकर किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जाएगा. स्कूलों को यह भी निर्देशित किया गया है कि वे किताबों की सूची समय से पहले वेबसाइट पर अपलोड करें और छात्रों के अभिभावकों को स्वतंत्र रूप से किताब खरीदने की अनुमति दें.
अभिभावकों को मिलेगी बड़ी राहत
इस फैसले से सबसे बड़ा फायदा छात्रों के माता-पिता को मिलेगा, जो अब तक बड़ी कीमत वाली किताबें खरीदने के लिए मजबूर होते थे. इससे पहले कई बार अभिभावकों ने शिकायत की थी कि उन्हें साल की शुरुआत में ही हजारों रुपये की किताबें खरीदनी पड़ती हैं. जिनमें से कई किताबें साल भर इस्तेमाल में भी नहीं आतीं.
शिक्षा को बनेगा सरल और सुलभ
सरकार और शिक्षा बोर्ड का मानना है कि यदि स्कूलों में पढ़ाई सरल, सस्ती और समान पाठ्यक्रम के तहत करवाई जाए, तो सभी छात्रों को बराबर अवसर मिलेंगे और शिक्षा व्यवस्था अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनेगी. साथ ही इससे सरकारी योजनाओं जैसे RTE और NEP का प्रभावी क्रियान्वयन भी संभव होगा.