मंडी में टमाटर का भाव 1 रूपए प्रति किलो, गुस्से में किसानों ने सड़क पर खाली कर दी ट्रॉली Tomato Mandi Price

Tomato Mandi Price: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले की नवीन फल-सब्जी मंडी में उस समय हड़कंप मच गया जब किसानों को टमाटर के बदले केवल एक रुपये प्रति किलो का भाव मिला। आमतौर पर मुनाफे की आस लेकर मंडी पहुंचने वाले किसान इस स्थिति से बेहद निराश दिखे। उनमें से एक किसान ने अपना विरोध जताते हुए मंडी के बाहर ही अपनी ट्रॉली पलट दी और लगभग एक कुंतल टमाटर राहगीरों को फ्री में बांट दिए।

मंडी में भीड़ और वायरल हुआ वीडियो

रविवार की सुबह का यह दृश्य देखकर हर कोई हैरान रह गया। जैसे ही किसान ने टमाटर फ्री में बांटना शुरू किया, लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। कुछ लोगों ने इस पूरे वाकये का वीडियो भी बना लिया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। हालांकि समाचार एजेंसी हिन्दुस्तान ने इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं की है, लेकिन यह घटना किसानों की हालत की एक कड़वी हकीकत जरूर उजागर करती है।

टमाटर के दाम में अचानक गिरावट 1 रुपये किलो तक पहुंचे रेट

सब्जी आढ़ती खुशीराम लोधी के मुताबिक, रविवार सुबह टमाटर की एक 20 किलो की कैरेट महज 40 रुपये में बिकी। कुछ ही समय में भाव और गिर गए और एक रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए। मंडी में पहले जहां टमाटर 10 से 15 रुपये किलो बिकते थे, अब उसके दाम में 80 से 90% तक की गिरावट देखने को मिल रही है।

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किसानों का दर्द लागत नहीं निकल रही मंडी तक लाना भी घाटे का सौदा

किसानों ने बताया कि एक बीघा में टमाटर की फसल तैयार करने में करीब 20 हजार रुपये तक की लागत आती है। इसमें बीज, खाद, कीटनाशक और सिंचाई जैसे खर्च शामिल हैं। जब मंडी में एक रुपये किलो भाव मिल रहा है तो न सिर्फ लागत नहीं निकल रही, बल्कि ट्रॉली से सब्जी लाने, लेबर लगाने और किराया देने का खर्च भी जेब से देना पड़ रहा है। यही कारण है कि कुछ किसानों ने गुस्से में आकर फसल फेंक दी।

सरकार से मांग तय न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था हो

किसानों की मांग है कि सरकार टमाटर जैसी जल्दी खराब होने वाली सब्जियों के लिए भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करे ताकि उन्हें कभी इतनी निराशाजनक स्थिति का सामना न करना पड़े। अन्यथा मौसम के भरोसे रहकर मेहनत करने वाले किसान को हर बार घाटा ही झेलना पड़ता है।

खेत में मेहनत मंडी में नुकसान किसान बना घाटे का सौदा

उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों में विशेष रूप से बुलंदशहर, हापुड़, मेरठ और बागपत जैसे इलाकों में किसान टमाटर की बड़े पैमाने पर खेती करते हैं। लेकिन जब मंडी में भाव नहीं मिलते, तो वह फसल को खेत में ही छोड़ने या सड़क पर फेंकने को मजबूर हो जाते हैं। इससे न केवल किसानों की कमर टूटती है, बल्कि देश की खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पर भी प्रश्न खड़े हो जाते हैं।

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किसानों को मौसम विभाग की चेतावनी

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विशेषज्ञ अजय मिश्रा ने बताया कि अगले कुछ दिनों में पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों में लू चलने की संभावना है। मौसम विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे अपनी फसलों में हल्की सिंचाई करते रहें और खुद धूप से बचें। किसानों से अपील की गई है कि वे सुबह या शाम को ही खेतों में काम करें और दिन के समय सीधे धूप में जाने से बचें।

क्या है सरकार की अगली रणनीति ?

अब सबकी नजर राज्य सरकार और कृषि विभाग पर है। किसानों को राहत पहुंचाने के लिए क्या कोई विशेष योजना लाई जाएगी या फिर यह मामला भी पिछली कई घटनाओं की तरह खबर बनकर रह जाएगा? इस सवाल का जवाब फिलहाल समय के गर्भ में है, लेकिन एक बात साफ है कि किसानों की दुर्दशा पर अब तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।

किसानों की मेहनत का मिले सम्मान

बुलंदशहर की घटना देश के उस वर्ग की पीड़ा को उजागर करती है जो हमारी थाली में भोजन भरने के लिए कड़ी मेहनत करता है। जब उन्हीं किसानों की मेहनत यूं सड़क पर बहा दी जाती है, तो यह केवल नुकसान नहीं बल्कि एक सामाजिक विफलता भी है। सरकार और समाज दोनों को मिलकर ऐसी स्थिति को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे।

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