Electricity Price Increased: उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को अप्रैल माह में महंगे बिजली बिल का सामना करना पड़ेगा। राज्य में पांच वर्षों बाद बिजली की दरों में पहली बार बदलाव हुआ है। इस बार यह बदलाव सीधे बिजली कंपनियों द्वारा फ्यूल सरचार्ज (ईंधन अधिभार) के रूप में लागू किया गया है, जिसके तहत उपभोक्ताओं से 1.24 प्रतिशत ज्यादा राशि वसूली जाएगी।
अप्रैल में बढ़ेगा बिजली बिल कंपनियों की कमाई में इजाफा
राज्य की विद्युत कंपनियों ने फ्यूल सरचार्ज लागू कर 78.99 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी का लक्ष्य रखा है। इससे प्रदेश के 3.45 करोड़ उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। उदाहरण के लिए यदि किसी उपभोक्ता का मार्च माह का बिल 1000 रुपये था, तो अप्रैल में वह बिल 12.40 रुपये बढ़कर आएगा।
फ्यूल सरचार्ज का अधिकार अब कंपनियों को
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन-2025 के अंतर्गत बिजली कंपनियों को हर महीने खुद ही फ्यूल सरचार्ज तय करने का अधिकार दे दिया है। कंपनियों ने इस अधिकार का इस्तेमाल करते हुए पहली बार अप्रैल महीने से यह सरचार्ज लागू किया है।
बिलिंग सॉफ्टवेयर में हुआ बदलाव सरचार्ज जोड़कर भेजे जा रहे बिल
बिजली कंपनियों ने अपने बिलिंग सॉफ्टवेयर में बदलाव कर उपभोक्ताओं को अप्रैल से नए बिल भेजने शुरू कर दिए हैं। इन बिलों में सरचार्ज की राशि जोड़ दी गई है। हर उपभोक्ता को अब कुल बिल राशि के 1.24 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त भुगतान करना होगा।
हर महीने बदलता रहेगा बिजली का खर्च
बिजली की कीमत में यह बदलाव एक स्थायी प्रकिया बन गई है। अब हर महीने बिजली उत्पादन में लगने वाले ईंधन जैसे कोयले के खर्च के अनुसार फ्यूल सरचार्ज निर्धारित किया जाएगा। यदि ईंधन की लागत बढ़ी तो बिल बढ़ेगा और यदि लागत घट गई तो बिल में कमी भी आ सकती है।
दो से तीन महीने में बढ़ सकती हैं दरें
वर्तमान में चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) आयोग के समक्ष लंबित है। माना जा रहा है कि आने वाले दो से तीन महीने में बिजली दरों में 10 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। वर्ष 2019 के बाद पहली बार दरों में यह संभावित बढ़ोतरी होगी।
उपभोक्ता परिषद ने जताया विरोध
उत्तर प्रदेश राज्य विधुत उपभोक्ता परिषद ने इस बढ़ोतरी का विरोध किया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों के पास उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस के रूप में है, ऐसे में फ्यूल सरचार्ज की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने मांग की कि बिजली कंपनियों को फ्यूल सरचार्ज की 78.99 करोड़ रुपये की राशि उपभोक्ताओं के सरप्लस खाते से समायोजित करनी चाहिए थी।
गुपचुप तरीके से आदेश पारदर्शिता पर सवाल
परिषद ने यह भी आरोप लगाया कि नियामक आयोग ने मार्च में गुपचुप तरीके से आदेश पारित किया और उपभोक्ताओं को सूचित किए बिना अप्रैल के बिल में सरचार्ज जोड़ दिया गया। यह पारदर्शिता की कमी और उपभोक्ता हितों की अनदेखी है।