UP New School: उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने और स्कूल-कॉलेज खोलने की प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। अब प्राइमरी स्कूल से लेकर डिग्री कॉलेज तक खोलने की राह पहले से कहीं आसान होने जा रही है।
सरकार ने भवन निर्माण नियमों में बदलाव करते हुए स्कूल परिसरों के अंदर बस पार्किंग की अनिवार्यता खत्म कर दी है। अब यह पार्किंग स्कूल से बाहर भी बनाई जा सकेगी, जिससे छोटे भूखंडों पर भी स्कूल खोलना संभव होगा।
अब स्कूल के बाहर भी बन सकेगी बस पार्किंग
पहले के नियमों के अनुसार, स्कूल के अंदर बच्चों को लाने और ले जाने वाले वाहनों के लिए पार्किंग बनाना अनिवार्य था। इससे छोटे भूखंडों या घनी आबादी वाले क्षेत्रों में स्कूल खोलना मुश्किल हो जाता था।
अब बाहर पार्किंग बनाने की सुविधा मिलने से छोटे और मध्यम स्तर के निवेशकों को राहत मिलेगी और शहरी क्षेत्रों में भी नई शिक्षण संस्थाएं खुल सकेंगी।
12 मीटर की बजाय अब 9 मीटर सड़क पर भी पास होगा नक्शा
स्कूलों की इमारतों का नक्शा पास कराने के लिए अब तक 12 मीटर चौड़ी सड़क की शर्त थी। लेकिन अब यह बाध्यता घटाकर 9 मीटर कर दी गई है। इससे कई छोटे भूखंड भी अब शैक्षिक संस्थानों के लिए उपयुक्त माने जाएंगे।
यह कदम खासकर शहरों में जगह की कमी वाले क्षेत्रों में स्कूल खोलने की प्रक्रिया को आसान बना देगा।
खेल मैदान और खुला क्षेत्र अभी भी जरूरी
हालांकि पार्किंग को लेकर राहत दी गई है, लेकिन सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि खेल के मैदान और खुले क्षेत्र की अनिवार्यता बरकरार रहेगी।
छात्रों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए ये सुविधाएं जरूरी हैं। इसलिए हर स्कूल को पर्याप्त ओपन एरिया और खेल के लिए जगह देना ही होगा।
एफएआर (Floor Area Ratio) मिलेगा सड़क चौड़ाई के अनुसार
स्कूल भवन निर्माण में एफएआर अब सड़क की चौड़ाई के आधार पर तय किया जाएगा। यानी जिन भूखंडों के पास अधिक चौड़ी सड़कें होंगी, वहां अधिक ऊंचाई तक भवन निर्माण की अनुमति दी जाएगी। इससे बहुमंजिला स्कूल बनाना संभव होगा।
स्कूलों को बहुमंजिला पार्किंग की भी छूट
परिसर में वाहन पार्किंग को लेकर निवेशकों को राहत देने के लिए सरकार ने बहुमंजिला पार्किंग (Multi-level Parking) की अनुमति दे दी है।
अब स्कूल परिसर में पार्किंग के लिए अलग ब्लॉक बनाना संभव होगा, जिससे उपयोगिता क्षेत्र बढ़ेगा और व्यवस्थित पार्किंग व्यवस्था संभव होगी।
शैक्षणिक संस्थानों की श्रेणियां घटाकर चार की गईं
अब तक स्कूल-कॉलेज आदि को कई श्रेणियों में बांटा जाता था, जिससे नियमों का पालन करना कठिन होता था। लेकिन अब इन श्रेणियों को घटाकर 10 से सिर्फ 4 कर दिया गया है। इससे नक्शा पास कराना और अनुमति प्राप्त करना आसान हो जाएगा।
क्रेच खोलने के लिए मिलेगी जगह
राज्य सरकार ने छोटे बच्चों की देखभाल के लिए आवासीय भूखंडों में क्रेच खोलने की अनुमति देने का भी निर्णय लिया है। अब ऐसे भूखंडों पर 25% तक ग्राउंड कवरेज के साथ क्रेच चलाए जा सकेंगे। इससे वर्किंग पेरेंट्स को बड़ी राहत मिलेगी।
सेटबैक में भी होगी कवरेज की सुविधा
नई नीति के अनुसार, अब सेटबैक क्षेत्र में भी 20% से लेकर 40% तक कवरेज की सुविधा मिलेगी। इससे निर्माण क्षेत्र बढ़ेगा और प्लानिंग ज्यादा लचीली हो सकेगी।
निवेश को मिलेगा बढ़ावा
इन सभी बदलावों का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में निजी निवेश को आकर्षित करना और शिक्षा के क्षेत्र में सुविधाओं का विस्तार करना है।
सरकार को उम्मीद है कि इन नई सुविधाओं और नियमों से नए स्कूल और कॉलेज खुलेंगे, जिससे न केवल छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलेगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
भवन निर्माण उपविधियों पर मांगी गई आपत्तियां
प्रमुख सचिव आवास पी. गुरुप्रसाद द्वारा जारी प्रारूप के अनुसार, यह प्रस्तावित भवन निर्माण उपविधियां फिलहाल ड्राफ्ट स्टेज में हैं। आम लोगों, स्कूल प्रबंधकों, और विशेषज्ञों से आपत्तियां व सुझाव मांगे गए हैं।
इसके बाद इन नियमों को अंतिम रूप देकर प्रदेशभर में लागू किया जाएगा।
शिक्षा के क्षेत्र में यूपी सरकार की बड़ी पहल
इन बदलावों से यह स्पष्ट है कि यूपी सरकार प्रदेश में स्कूल-कॉलेज खोलने की प्रक्रिया को सरल और व्यावहारिक बनाना चाहती है। यह कदम निजी निवेशकों और शिक्षा संस्थानों को नई ऊर्जा देगा।