Saving Account Rules: आज के समय में बैंक सेविंग अकाउंट हर किसी के पास होता है – चाहे वो नौकरीपेशा हो, छात्र हो या फिर व्यवसायी। कैश डिपॉजिट यानी नकद पैसा जमा करना भी आम बात है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सेविंग अकाउंट में कितनी राशि जमा करना सुरक्षित है और इसके लिए RBI और इनकम टैक्स विभाग के नियम क्या कहते हैं। अगर आप इन नियमों से अनजान हैं और बार-बार बड़ी रकम खाते में जमा करते हैं, तो आपको इनकम टैक्स विभाग की तरफ से नोटिस भी आ सकता है।
बार-बार या बड़ी रकम जमा करने पर क्यों आती है जांच ?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन पर नजर रखते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने सेविंग अकाउंट में बार-बार बड़ा कैश अमाउंट जमा करता है, या उसकी कुल जमा राशि एक तय सीमा से ज्यादा हो जाती है, तो बैंक को इसकी जानकारी टैक्स विभाग को देनी पड़ती है।
सेविंग अकाउंट में कैश जमा करने की सीमा क्या है ?
RBI के मुताबिक, अगर आप एक फाइनेंशियल ईयर (1 अप्रैल से 31 मार्च) के दौरान अपने सेविंग अकाउंट में 10 लाख रुपये से ज्यादा नकद जमा करते हैं, तो बैंक को यह जानकारी Annual Information Return (AIR) के तहत इनकम टैक्स विभाग को देनी होती है।
🔹 यह सीमा कैश डिपॉजिट पर लागू होती है, न कि ऑनलाइन या चेक से किए गए ट्रांजैक्शन पर।
🔹 अगर आप इस सीमा से ऊपर जाते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपकी आय का स्रोत स्पष्ट और वैध हो।
करंट अकाउंट की लिमिट सेविंग अकाउंट से अलग होती है
जो लोग व्यवसाय करते हैं या जिनका बड़ा ट्रांजैक्शन होता है, वे अक्सर करंट अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं।
- करंट अकाउंट में 50 लाख रुपये तक कैश डिपॉजिट की सीमा है।
- इस खाते में बार-बार बड़ा ट्रांजैक्शन होना सामान्य माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद बैंक को साल के अंत में बड़ी जमा राशि की रिपोर्ट इनकम टैक्स विभाग को देनी होती है।
किन ट्रांजैक्शन के लिए पैन नंबर देना अनिवार्य है ?
भारत सरकार ने उच्च राशि के लेन-देन में पैन कार्ड अनिवार्य किया है।
- अगर आप एक बार में 50,000 रुपये या उससे ज्यादा की नकद जमा करते हैं, तो बैंक को आपका पैन नंबर लेना जरूरी है।
- भले ही आप बार-बार छोटे अमाउंट (जैसे ₹40,000) जमा कराएं, लेकिन अगर साल भर में कुल रकम 10 लाख से अधिक हो जाती है, तो यह इनकम टैक्स की नजर में आ सकता है।
अगर आपने लिमिट पार कर दी तो क्या होगा ?
अगर आप बिना वैध स्रोत के बड़ी राशि जमा करते हैं और इनकम टैक्स विभाग को संदेह होता है, तो वे आपसे स्पष्टीकरण मांग सकते हैं।
- टैक्स विभाग आपको धारा 131, 142(1) या 148 के तहत नोटिस भेज सकता है।
- अगर आप संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाते, तो आपकी जमा रकम को अनएक्सप्लेंड इनकम (Unexplained Income) माना जा सकता है।
- इस पर 60% टैक्स + सरचार्ज + सेस के रूप में करीब 78% तक टैक्स लगाया जा सकता है।
कैश डिपॉजिट और फॉर्म 26AS या AIS से कनेक्शन
आपके बैंक द्वारा किए गए सभी हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन, आपके फॉर्म 26AS और AIS (Annual Information Statement) में दर्ज होते हैं।
- इनकम टैक्स विभाग इन्हीं स्टेटमेंट्स की मदद से आपके आईटीआर में घोषित आय से तुलना करता है।
- अगर कोई अंतर (Mismatch) पाया गया तो नोटिस भेजा जा सकता है।
👉 इसलिए साल के अंत में ITR फाइल करते समय अपने फॉर्म 26AS और AIS को जरूर चेक करें।
कैसे बचें नोटिस और जुर्माने से अपनाएं ये उपाय
- सभी आय और खर्च का रिकार्ड रखें।
- जितना कैश जमा कर रहे हैं, उतना ही आय स्रोत भी दिखाएं।
- ज्यादा कैश लेन-देन से बचें, डिजिटल मोड का अधिक इस्तेमाल करें।
- बड़े ट्रांजैक्शन में पैन नंबर जरूर दें।
- ITR समय पर और सही जानकारी के साथ भरें।
नियम जानना जरूरी ताकि परेशानियों से बच सकें
बैंक में सेविंग अकाउंट होना आम बात है, लेकिन उसमें कैश जमा करते समय कुछ नियमों और लिमिट का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। चाहे आप आम नौकरीपेशा हों या व्यवसायी, इनकम टैक्स के नियमों की जानकारी होने से आप नोटिस, जुर्माना या टैक्स विवाद से आसानी से बच सकते हैं।