इन स्कूलों की मान्यता हो सकती है रद्द, जारी हुए आदेश Action on School

Action on School: देश में स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर लगातार चिंताजनक खबरें सामने आ रही हैं। खासकर स्कूल वैन हादसों में बढ़ोतरी के चलते अब प्रशासन हरकत में आ गया है। कई बार देखा गया है कि स्कूल वैनें जर्जर हालत में होती हैं, और ड्राइवर या तो प्रशिक्षित नहीं होते या नशे में वाहन चलाते हैं। इन हालातों को देखते हुए प्रशासन ने स्कूल प्रबंधकों और प्रिंसिपलों के साथ कई बैठकें कर अब सख्त निर्देश जारी किए हैं, जिसमें साफ कहा गया है कि अगर सेफ स्कूल व्हीकल पॉलिसी का पालन नहीं हुआ, तो स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है।

पुरानी और खटारा स्कूल वैनों पर पूरी तरह से बैन

फिरोजपुर जिले से आई रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में एक स्कूल वैन हादसे का शिकार हुई। जांच में सामने आया कि वह वैन समय सीमा पूरी कर चुकी थी और तकनीकी रूप से फिट नहीं थी। यही वजह रही कि बच्चों की जान जोखिम में पड़ी।

ड्राइवर के लिए शारीरिक जांच और डोप टेस्ट अनिवार्य

स्कूल वैन हादसों के पीछे एक और बड़ी वजह सामने आई है – ड्राइवर की लापरवाही और अस्वस्थता। इसे रोकने के लिए प्रशासन ने नया आदेश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि:

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  • स्कूल वैन चलाने वाले हर ड्राइवर का समय-समय पर मेडिकल चेकअप जरूरी है।
  • अगर संदेह हो तो डोप टेस्ट (नशे की जांच) भी करवाना अनिवार्य होगा।
  • नशा मुक्त और मानसिक रूप से फिट ड्राइवर ही स्कूल वाहन चला सकेंगे।

इस पहल से बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक सख्त और सकारात्मक संदेश दिया गया है।

स्कूलों की लापरवाही पर होगी सीधी कार्रवाई

कई स्कूल प्रबंधक और समितियां स्कूल वैन की स्थिति और ड्राइवर की योग्यता पर ध्यान नहीं देतीं, जिससे हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब प्रशासन ने साफ कर दिया है कि:

  • सेफ स्कूल व्हीकल पॉलिसी का पालन न करने पर स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है।
  • प्रिंसिपल और स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
  • स्कूल वाहन ऑपरेट करने वाली प्राइवेट एजेंसियों की सक्रियता की भी जांच की जाएगी।

सेफ स्कूल व्हीकल पॉलिसी के अहम नियम क्या हैं ?

सरकार की इस नीति का मकसद है कि हर स्कूल वाहन सुरक्षित और नियमों के अनुरूप हो। इस नीति के तहत:

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  • वैन की उम्र तय सीमा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
  • फिटनेस सर्टिफिकेट और बीमा अनिवार्य है।
  • सभी वाहन में स्पीड गवर्नर, CCTV कैमरा, फायर एक्सटिंग्विशर और फर्स्ट एड किट होनी चाहिए।
  • वाहन पर स्कूल बस/वैन लिखा होना चाहिए और पीछे “ब्लो हॉर्न” ना लिखा हो।
  • सभी स्कूलों को वार्षिक वाहन ऑडिट रिपोर्ट जमा करनी होगी।

मीडिया के माध्यम से चेतावनी अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं

आरटीए सचिव गुरमीत सिंह मान ने मीडिया के माध्यम से सभी स्कूलों को चेतावनी देते हुए कहा है कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।

  • स्कूल, कॉलेज, और कोचिंग सेंटर्स सभी को इसका पालन करना अनिवार्य है।
  • जल्द ही अभियान चलाकर स्कूल वैनों की फिजिकल चेकिंग शुरू की जाएगी।
  • यदि कोई भी वाहन नियमों के विरुद्ध पाया गया, तो ड्राइवर, मालिक और स्कूल पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

बच्चों की सुरक्षा के लिए हर कदम जरूरी

बच्चे हमारे भविष्य हैं, और उनका जीवन सिर्फ पढ़ाई से नहीं बल्कि सुरक्षित सफर से भी जुड़ा हुआ है।

  • हर अभिभावक को भी यह देखना चाहिए कि उनके बच्चों की वैन फिट और नियमों के अनुसार है या नहीं।
  • स्कूल प्रशासन को यह जिम्मेदारी निभानी होगी कि बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता ना हो।
  • यह नियम न केवल कानूनी बाध्यता हैं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी हैं।

अब कोई समझौता नहीं सिर्फ सुरक्षित स्कूल ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था

लगातार बढ़ते स्कूल वैन हादसों को देखते हुए सरकार और प्रशासन का यह फैसला सही समय पर उठाया गया सख्त कदम है। अगर स्कूल, अभिभावक और प्रशासन मिलकर यह सुनिश्चित करें कि हर बच्चा सुरक्षित और जिम्मेदार परिवहन सेवा से स्कूल पहुंचे, तो आने वाले समय में ऐसे हादसों की संख्या न के बराबर हो सकती है।

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