RBI ACTION: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर सख्त एक्शन लेते हुए अहमदाबाद स्थित कलर मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। आरबीआई के इस फैसले से बैंक के ग्राहकों में हलचल मच गई है क्योंकि अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि ग्राहकों की जमा राशि का क्या होगा ? आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि बैंक के पास ना तो पर्याप्त पूंजी है और ना ही कमाई की कोई ठोस संभावना। ऐसे में बैंक का संचालन डिपॉजिटर्स के हित में नहीं है।
लाइसेंस रद्द करने का मुख्य कारण पूंजी और कमाई की कमी
आरबीआई ने बयान में कहा कि कलर मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक की मौजूदा आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। बैंक के पास इतनी पूंजी नहीं है कि वह भविष्य में भी अपने ग्राहकों की जमाओं की वापसी कर सके। इसके साथ ही बैंकिंग विनियमन अधिनियम के तहत जो न्यूनतम पूंजी की शर्तें होती हैं, बैंक उन्हें भी पूरा करने में विफल रहा।
क्या कहा आरबीआई ने ?
आरबीआई ने साफ तौर पर कहा कि अगर बैंक को संचालन की इजाजत दी जाती है, तो यह जनहित के लिए खतरनाक होगा। बैंक अपने ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकता। इसीलिए 16 अप्रैल 2025 से बैंक का संपूर्ण बैंकिंग संचालन बंद कर दिया गया है। अब यह बैंक न तो कोई नया डिपॉजिट स्वीकार कर सकेगा और न ही पुरानी जमा राशि की वापसी कर पाएगा।
अब ग्राहकों की जमा राशि का क्या होगा ?
यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में है, जिसने इस बैंक में अपना पैसा जमा कर रखा था। RBI के अनुसार, ग्राहकों की राशि DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) के अंतर्गत सुरक्षित है, लेकिन इसकी एक सीमा है।
- DICGC के नियमों के अनुसार , किसी भी ग्राहक को अधिकतम ₹5 लाख तक की राशि बीमा के तहत वापस मिल सकती है।
- इसमें बचत खाता, चालू खाता, फिक्स्ड डिपॉजिट और अन्य सभी प्रकार की जमा राशि शामिल हैं।
98.51% ग्राहकों को मिल सकेगा पूरा पैसा
RBI ने कहा कि बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, लगभग 98.51 प्रतिशत जमाकर्ता DICGC के तहत अपनी पूरी जमा राशि पाने के पात्र हैं। यानी जिन ग्राहकों ने ₹5 लाख तक की राशि जमा की है, उन्हें उनकी पूरी राशि मिल जाएगी।
31 मार्च 2024 तक, ₹13.94 करोड़ की बीमित जमा राशि पहले ही उन ग्राहकों को DICGC के माध्यम से जारी की जा चुकी है, जिन्होंने समय रहते आवेदन कर दिया था।
बैंक को बंद करने और समापनकर्ता नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू
RBI ने गुजरात के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से अनुरोध किया है कि बैंक को बंद करने और एक लीक्विडेटर यानी परिसमापक नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके बाद बैंक की शेष परिसंपत्तियों की नीलामी कर अन्य देनदारियों को चुकाने का कार्य किया जाएगा।
बैंकिंग नियमों का पालन करने में विफल रहा बैंक
कलर मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक कई बुनियादी बैंकिंग नियमों का पालन करने में विफल रहा। इसमें शामिल हैं:
- न्यूनतम नेटवर्थ बनाए रखने में असफलता
- पर्याप्त रिजर्व ना होना
- एनपीए (Non Performing Assets) की उच्च दर
- बैंकिंग संचालन में पारदर्शिता की कमी
इन सभी कारणों से बैंक के खिलाफ कार्रवाई करना आरबीआई के लिए जरूरी हो गया।
ग्राहकों के लिए जरूरी सुझाव
अगर आपका खाता इस बैंक में है, तो आपको कुछ जरूरी कदम तुरंत उठाने चाहिए:
- बैंक की शाखा से संपर्क करें:
बैंक की शाखा या DICGC प्रतिनिधि से संपर्क कर जानकारी प्राप्त करें कि आपके आवेदन की स्थिति क्या है। - DICGC में क्लेम दर्ज करें:
यदि आपने अभी तक क्लेम नहीं किया है, तो जल्द से जल्द बैंक शाखा या DICGC की वेबसाइट पर जाकर क्लेम प्रक्रिया पूरी करें। - अपने दस्तावेज तैयार रखें:
खाता नंबर, पासबुक, आधार, पैन और अन्य पहचान दस्तावेज तैयार रखें। क्लेम प्रक्रिया में इनकी जरूरत पड़ेगी।
भविष्य में ऐसे बैंकों से सतर्क रहें
ग्राहकों को चाहिए कि किसी भी अल्पसंख्यक सहकारी बैंक या छोटे प्राइवेट बैंक में खाता खोलने से पहले उसकी क्रेडिट रेटिंग, पूंजी स्थिति और आरबीआई की निरीक्षण रिपोर्ट जरूर देखें। बैंक का RBI से स्वीकृत होना ही पर्याप्त नहीं है, उसकी आर्थिक मजबूती भी उतनी ही आवश्यक है।
RBI के फैसले से ग्राहकों को मिली सुरक्षा की गारंटी
आरबीआई द्वारा कलर मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द करना एक गंभीर लेकिन जरूरी कदम था। यह फैसला ग्राहकों के हित में लिया गया ताकि भविष्य में उनके पैसे डूबने की नौबत न आए। हालांकि ₹5 लाख तक की राशि DICGC द्वारा बीमित होती है, लेकिन यह घटना एक चेतावनी भी है कि हमें आर्थिक संस्थानों के चुनाव में ज्यादा सतर्कता बरतनी चाहिए।