UP New Expressway: उत्तर प्रदेश में एक ऐतिहासिक परियोजना अपने अंतिम चरण में है, जो न केवल प्रदेश के 12 जिलों और 518 गांवों को आपस में जोड़ेगी, बल्कि राजधानी दिल्ली की ट्रैफिक और प्रदूषण समस्या को भी काफी हद तक कम कर देगी। इस मेगा प्रोजेक्ट का नाम है – गंगा एक्सप्रेसवे। यह एक्सप्रेसवे मेरठ से प्रयागराज तक बनेगा और इसके रास्ते में आने वाले प्रमुख जिले हैं – मेरठ, हापुड़, बुलन्दशहर, अमरोहा, संभल, बदायूँ, शाहजहाँपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली और प्रतापगढ़।
594 किलोमीटर लंबा 6 घंटे में तय होगी दूरी
गंगा एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 594 किलोमीटर है, और इसके निर्माण के बाद यह दूरी मात्र 6 घंटे में पूरी की जा सकेगी। अभी इस दूरी को तय करने में करीब 10-12 घंटे लगते हैं।
यह सड़क 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियों को चलाने की सुविधा देगी।
यह एक्सप्रेसवे न सिर्फ ट्रैवल टाइम को कम करेगा बल्कि लॉजिस्टिक सेक्टर, व्यापार, खेती और पर्यटन में भी तेजी लाएगा।
90% काम पूरा जल्द खुलेगा ट्रैफिक के लिए
गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण का 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। यह जानकारी सामने आई है कि परियोजना में रेलवे लाइन पर स्टील गर्डर लगाने का कार्य भी चल रहा है, विशेष रूप से सोनिक स्टेशन के पास।
जल्द ही इसे ट्रैफिक के लिए खोल दिया जाएगा, जिससे लोगों को इस आधुनिक और तेज़ एक्सप्रेसवे का लाभ मिलने लगेगा।
कितनी है गंगा एक्सप्रेसवे की लागत ?
इस मेगाप्रोजेक्ट की अनुमानित लागत ₹36,230 करोड़ है।
- यह एक्सप्रेसवे मेरठ के बिजौली गांव से शुरू होकर प्रयागराज के जुदापुर दादू गांव (NH-19) तक जाएगा।
- पूरे रूट पर कुल 7467 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई है।
राज्य सरकार की मंशा है कि इस एक्सप्रेसवे से न केवल बड़े शहर जुड़े बल्कि छोटे गांव और कस्बों को भी आधुनिक सुविधा मिले, ताकि क्षेत्रीय असमानता को दूर किया जा सके।
एक्सप्रेसवे में मिलेंगी ये सुविधाएं
गंगा एक्सप्रेसवे को सिर्फ सड़क के रूप में नहीं बल्कि एक स्मार्ट कॉरिडोर के रूप में तैयार किया जा रहा है। इसमें शामिल हैं:
- 126 छोटे पुल और 381 अंडरपास
- 28 बड़े फ्लाईओवर
- 15 स्थानों पर टोल रैंप और मेरठ व प्रयागराज में मुख्य टोल प्लाजा
- 9 जगह जन सुविधा परिसर
- सभी बुनियादी ढांचे को भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
एक्सप्रेसवे पर उतरेंगे फाइटर जेट और हेलीकॉप्टर
गंगा एक्सप्रेसवे की डिजाइन को इस तरह बनाया गया है कि आपात स्थिति में यहां पर फाइटर जेट और हेलीकॉप्टर भी उतर सकते हैं।
इसके लिए शाहजहांपुर में 3.5 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी तैयार की जा रही है। यह भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, खासकर आपदा और युद्धकालीन परिस्थितियों में।
ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट से जुड़ा है एक्सप्रेसवे
गंगा एक्सप्रेसवे एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है, यानी इसे पूरी तरह से नई जमीन पर बनाया जा रहा है। इससे आसपास के क्षेत्र में नई सड़कें, बाजार, इंडस्ट्रीज़ और रोजगार के अवसर विकसित होंगे।
साथ ही यह डिफेंस कॉरिडोर से भी लिंक हो सकता है, जिससे रक्षा उत्पादन और आपूर्ति का नया मार्ग तैयार होगा।
दिल्ली की परेशानी होगी कम
इस एक्सप्रेसवे का एक बड़ा लाभ यह होगा कि यह दिल्ली की ट्रैफिक और प्रदूषण की समस्या को भी कम करेगा। अभी दिल्ली होकर गुजरने वाले कई भारी वाहन इस रूट से डायवर्ट हो सकेंगे।
लॉजिस्टिक कंपनियों को भी कम समय और ईंधन में माल पहुंचाने का विकल्प मिलेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आएगी।
उत्तर प्रदेश के लिए गेम चेंजर साबित होगा प्रोजेक्ट
गंगा एक्सप्रेसवे न केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश के लिए एक आर्थिक, सामाजिक और सामरिक गेम चेंजर बनने जा रहा है।
इस प्रोजेक्ट से:
- गांवों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी
- युवाओं को नए रोजगार के अवसर मिलेंगे
- कृषि और व्यापार क्षेत्र में सुधार होगा
- राज्य की छवि एक विकसित राज्य के रूप में उभरेगी
बदलते उत्तर प्रदेश की नई तस्वीर
गंगा एक्सप्रेसवे सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि विकास की दिशा में एक लंबी छलांग है। इस एक्सप्रेसवे से उत्तर प्रदेश न सिर्फ देश के बाकी हिस्सों से जुड़ेगा, बल्कि यह प्रदेश की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और स्थायी विकास में भी योगदान देगा।