24 कैरेट सोने से क्यों नहीं बनाए जाते आभूषण, जाने इसके पीछे की असली वजह 24K Gold Jewellery

24K Gold Jewellery: भारत में सोना केवल एक कीमती धातु नहीं है, बल्कि यह शुभता, परंपरा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। त्योहार हो, शादी-ब्याह या किसी खास मौके पर सोना खरीदना भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। महिलाएं इसे गहनों के रूप में पहनती हैं, वहीं पुरुष इसे निवेश और सुरक्षित पूंजी के रूप में देखते हैं।

क्या होता है 24 कैरेट गोल्ड क्यों इसे सबसे शुद्ध माना जाता है

24 कैरेट सोना 99.9 प्रतिशत शुद्ध होता है और इसमें किसी भी प्रकार की अन्य धातु की मिलावट नहीं होती। यही कारण है कि इसे ‘प्योर गोल्ड’ कहा जाता है। लेकिन इतना शुद्ध होने के कारण इसकी भौतिक संरचना बहुत नरम होती है। यह धातु इतनी लचीली होती है कि थोड़े से दबाव में ही मुड़ या टूट सकती है।

तो क्या 24 कैरेट सोने की ज्वैलरी नहीं बन सकती ?

बिलकुल नहीं। यही वजह है कि ज्वैलर्स 24 कैरेट सोने से गहने बनाने से साफ इनकार कर देते हैं। गहनों के लिए मजबूत और टिकाऊ धातु की जरूरत होती है जो लंबे समय तक आकार बनाए रखे। 24 कैरेट सोना इस जरूरत को पूरा नहीं करता।

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22 कैरेट और 18 कैरेट सोने का होता है ज्वैलरी में इस्तेमाल

जब गहनों की बात आती है तो 22 कैरेट और 18 कैरेट गोल्ड का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है।

  • 22 कैरेट सोना: इसमें 91.6% शुद्ध सोना होता है और बाकी 8.4% अन्य धातुएं (जैसे कॉपर, सिल्वर) मिलाई जाती हैं।
  • 18 कैरेट सोना: इसमें 75% सोना और 25% अन्य धातुएं होती हैं। यह और अधिक मजबूत होता है और डिजाइनर ज्वैलरी में इसका खूब इस्तेमाल होता है।

इस प्रकार मिलावट सोने को मजबूत बनाती है और ज्वैलरी लंबे समय तक सुरक्षित रहती है।

24 कैरेट सोना सिर्फ बिस्किट और बार के रूप में क्यों खरीदा जाता है

अगर कोई व्यक्ति 24 कैरेट सोना खरीदना चाहता है, तो वह इसे गोल्ड कॉइन, बिस्किट या बार के रूप में खरीद सकता है।
यह मुख्य रूप से निवेश के उद्देश्य से खरीदा जाता है, न कि पहनने के लिए। बैंकों, ज्वैलर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर इसे आसानी से खरीदा जा सकता है।

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सोने की कीमत ग्राम में क्यों बताई जाती है जानिए वजह

यह सवाल कई लोगों के मन में आता है कि सोने की कीमत हमेशा ‘ग्राम’ में ही क्यों बताई जाती है, तो इसका जवाब यह है कि:

  • ग्राम एक मानकीकृत मीट्रिक यूनिट है, जिसका उपयोग दुनियाभर में किया जाता है। इससे कीमतों की तुलना करना आसान होता है।
  • इससे खरीदारी छोटी मात्रा में भी संभव हो पाती है, जैसे 1 ग्राम, 2 ग्राम, 5 ग्राम आदि।
  • भारत जैसे देश में जहां मिडिल क्लास और लोअर इनकम ग्रुप के लोग भी सोने में निवेश करते हैं, उनके लिए छोटे यूनिट में कीमत जानना जरूरी होता है।

तोला में क्यों नहीं बताते आजकल सोने की कीमत ?

पहले भारत में सोने की कीमत तोला (1 तोला = 11.6638038 ग्राम) में बताई जाती थी। लेकिन जब से अंतरराष्ट्रीय बाजार से कीमतों की तुलना बढ़ी है, तब से ग्राम को मानक इकाई के रूप में अपनाया गया है। यह बदलाव पारदर्शिता और वैश्विक बाजार के साथ तालमेल बैठाने के लिए जरूरी था।

सोना खरीदते वक्त किन बातों का रखें ध्यान

  1. कैरेट की पुष्टि करें: जो गहना खरीद रहे हैं, वह कितने कैरेट का है, यह जरूर जानें।
  2. बिल और हॉलमार्क: सोने की खरीदारी के वक्त बिल और BIS हॉलमार्क जरूर लें।
  3. मेकिंग चार्ज देखें: हर ज्वैलर अपने हिसाब से मेकिंग चार्ज लेता है, इसे जानना जरूरी है।
  4. रीसेल वैल्यू: हमेशा ऐसे गहने खरीदें जिनकी बायबैक वैल्यू हो।

आज के दौर में डिजिटल गोल्ड भी है एक विकल्प

अगर आप शुद्धता और सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं, तो आजकल बाजार में डिजिटल गोल्ड का चलन भी बढ़ा है। इसे मोबाइल ऐप या वेबसाइट के जरिए खरीदा जा सकता है और यह 100% शुद्ध 24 कैरेट गोल्ड होता है। इसका लाभ यह है कि इसे कभी भी नकदी में बदला जा सकता है या फिजिकल गोल्ड के रूप में डिलीवरी ली जा सकती है।

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सोना खरीदने से पहले जानकारी जरूरी

अगर आप भी सोना खरीदने का विचार कर रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप कैरेट की समझ, वजन की इकाई, और उपयोग के आधार पर सोने के प्रकार की पूरी जानकारी रखें। 24 कैरेट सोना भले ही सबसे शुद्ध हो, लेकिन ज्वैलरी के लिए यह सही विकल्प नहीं है। और रही बात कीमत की, तो वह हमेशा ग्राम में ही बताई जाती है, जिससे हर वर्ग का व्यक्ति आसानी से समझ सके और खरीद सके।

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