CNG And PNG Price: जल्द ही देश के लाखों सीएनजी (CNG) और पीएनजी (PNG) उपभोक्ताओं को झटका लग सकता है. केंद्र सरकार ने शहरी गैस वितरण कंपनियों को मिलने वाली सस्ती गैस — एपीएम गैस (Administered Price Mechanism Gas) — की आपूर्ति में 20 प्रतिशत तक की कटौती कर दी है. इस फैसले का असर सीधे उन आम लोगों पर पड़ने वाला है जो CNG से वाहन चलाते हैं या PNG का उपयोग घरेलू रसोई में करते हैं.
किन कंपनियों को मिलेगा कम गैस का आवंटन?
भारत सरकार के इस फैसले से तीन प्रमुख शहरी गैस वितरण कंपनियां प्रभावित होंगी:
- इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (IGL)
- महानगर गैस लिमिटेड (MGL)
- अदाणी टोटल गैस लिमिटेड
इन कंपनियों को अब कम मात्रा में सस्ती गैस मिलेगी और इसकी भरपाई उन्हें महंगी गैस खरीदकर करनी पड़ेगी. इससे इन कंपनियों की लागत (input cost) बढ़ जाएगी और उसी अनुपात में वे उपभोक्ताओं से अधिक कीमत वसूल सकती हैं.
एपीएम गैस की जगह अब महंगी गैस का उपयोग
सरकार की नई नीति के अनुसार कंपनियों को अब APM गैस की जगह नई गैस फील्ड्स से निकाली गई महंगी गैस खरीदनी होगी. जहां APM गैस की कीमत करीब $6.75 प्रति MMBTU है. वहीं नई गैस की कीमत $8 प्रति MMBTU तक है. ऐसे में कंपनियों की मुनाफाखोरी पर भी असर पड़ेगा और इस अंतर को संतुलित करने के लिए गैस की खुदरा कीमतें बढ़ाई जा सकती हैं.
गेल इंडिया लिमिटेड ने दी आवंटन में कटौती की सूचना
देश की गैस वितरण नोडल एजेंसी GAIL इंडिया लिमिटेड ने 16 अप्रैल 2025 से APM गैस के आवंटन में कटौती की आधिकारिक सूचना दी है. इसका मतलब यह है कि इस तारीख के बाद से शहरी गैस कंपनियों को सस्ती गैस की मात्रा और भी कम मिलेगी. MGL, IGL और अदाणी टोटल गैस ने शेयर बाजार को इस बारे में जानकारी दी है कि उन्हें अब 125% तक महंगी गैस का आवंटन किया जा रहा है.
खुदरा उपभोक्ताओं पर पड़ेगा सीधा असर
यह कटौती और महंगी खरीद का सीधा असर खुदरा उपभोक्ताओं पर पड़ने वाला है. जैसे ही कंपनियों की इनपुट लागत बढ़ेगी. वैसे ही वे CNG और PNG के रेट बढ़ा सकती हैं.
इसका असर मुख्यतः निम्नलिखित पर होगा:
- CNG से वाहन चलाने वाले लाखों ऑटो, टैक्सी और निजी वाहन मालिक
- PNG का उपयोग करने वाले घरेलू रसोई ग्राहक
- स्कूल वैन, कैब ऑपरेटर और डिलीवरी कंपनियां
पहले ही 50% कम हो चुकी है APM गैस की आपूर्ति
यह पहला मौका नहीं है जब APM गैस की आपूर्ति में कटौती की गई है. पिछले एक साल में ही APM गैस की सप्लाई में करीब 50 प्रतिशत की कटौती हो चुकी है. पहले जहां यह गैस कुल आवश्यकता का 51% तक पूरा करती थी. अब यह घटकर सिर्फ 34% पर आ गई है. इससे शहरी गैस कंपनियों को लगातार महंगी गैस खरीदनी पड़ रही है.
गैस आपूर्ति नीति 2022 में हुआ था प्राथमिकता तय
भारत सरकार ने 2022 में गैस आपूर्ति नीति जारी की थी. जिसमें स्पष्ट किया गया था कि APM गैस का प्राथमिक उपयोग दो क्षेत्रों में किया जाएगा:
- रसोई गैस (PNG) आपूर्ति के लिए
- वाहनों के ईंधन (CNG) के रूप में
लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि इन प्राथमिक सेवाओं में भी महंगी गैस का मिश्रण जरूरी हो गया है. इससे उपभोक्ताओं को मिलने वाली सब्सिडी या सस्ते ईंधन का लाभ सीमित हो जाएगा.
कंपनियों का मुनाफा भी होगा प्रभावित
महंगी गैस खरीदने से जहां कंपनियों की लागत बढ़ेगी. वहीं उनका मुनाफा भी घट सकता है. कंपनियां या तो इस बढ़ी लागत को ग्राहकों से वसूलेंगी या फिर उन्हें अपने लाभ में कटौती करनी होगी. ऐसे में निवेशकों को भी इस निर्णय का असर कंपनियों के शेयरों पर देखने को मिल सकता है.
वाहन चालकों और घरेलू उपभोक्ताओं की बढ़ेगी चिंता
CNG की कीमत बढ़ने का सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो रोजमर्रा के सफर के लिए इस ईंधन पर निर्भर हैं. ऑटो चालकों, कैब ड्राइवरों और निजी वाहन मालिकों की जेब पर सीधा असर होगा. वहीं PNG उपभोक्ताओं के लिए रसोई का बजट भी बिगड़ सकता है. अब तक PNG एक किफायती विकल्प रहा है. लेकिन अगर इसकी कीमत भी एलपीजी के करीब पहुंचने लगी तो इसका असर उपभोग पर पड़ सकता है.