Water Drinking Benifits: गर्मी का मौसम शुरू होते ही शरीर को हाइड्रेट रखना सबसे जरूरी हो जाता है। तेज़ धूप, पसीना और उमस शरीर में पानी की कमी ला सकते हैं, जिससे थकावट, चक्कर आना और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में मटके का पानी एक बेहतरीन उपाय है। यह न केवल ठंडा और ताजगी देने वाला होता है, बल्कि यह शरीर के तापमान को भी संतुलित रखता है।
मटके का पानी नेचुरल कूलिंग का बेजोड़ तरीका
मटके का पानी प्राकृतिक रूप से ठंडा होता है। इसमें किसी रसायन या बिजली की जरूरत नहीं होती, इसलिए यह फ्रिज के पानी से अधिक स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म तत्व पानी को शुद्ध करते हैं और इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। मटके का पानी पीने से शरीर की सूजन, दर्द और पाचन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
मटके का पानी पीते समय इन गलतियों से बचें
मटका साफ नहीं करना
अगर आप मटके को नियमित रूप से साफ नहीं करते हैं, तो इसमें फफूंद और बैक्टीरिया पनप सकते हैं। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। कोशिश करें कि हर दो से तीन दिन में मटके को साफ करें और सप्ताह में एक बार उसमें बेकिंग सोडा या नींबू डालकर धो लें।
हाथ डुबोकर पानी निकालना
अक्सर घरों में देखा गया है कि बच्चे या बड़े लोग मटके में हाथ डालकर पानी निकालते हैं, जो कि गंदी आदत है। इससे मटके का पानी बैक्टीरिया युक्त हो सकता है, जिससे डायरिया, उल्टी या पेट की अन्य बीमारियां हो सकती हैं। पानी निकालने के लिए हमेशा साफ लोटा या मग का इस्तेमाल करें।
मटका खुला छोड़ देना
मटके को हमेशा ढककर रखें। अगर मटका खुला रहेगा तो उसमें धूल, मच्छर और अन्य कीटाणु जा सकते हैं। ढक्कन के तौर पर लकड़ी या स्टील की प्लेट का उपयोग करें जो आसानी से साफ की जा सके।
मटके की देखभाल कैसे करें ?
कपड़ा लपेटें, लेकिन रखें साफ
गर्मी में मटके के चारों ओर गीला कपड़ा लपेटना एक पुराना तरीका है जिससे पानी और ज्यादा ठंडा रहता है। लेकिन ध्यान रखें कि इस कपड़े को रोज धोएं नहीं तो यह संक्रमण का कारण बन सकता है।
ढक्कन को भी साफ करें
अक्सर लोग मटके को तो साफ करते हैं लेकिन उसके ढक्कन को नजरअंदाज कर देते हैं। ढक्कन पर भी बैक्टीरिया हो सकते हैं जो पानी को दूषित कर सकते हैं। इसलिए मटके के साथ-साथ ढक्कन को भी हफ्ते में 2 बार जरूर साफ करें।
हर दिन भरें ताजा पानी
मटके में एक बार भरा पानी 24 घंटे से ज्यादा नहीं रखना चाहिए। अगर पानी बच भी जाए तो उसे किसी अन्य काम में उपयोग करें और अगली बार ताजा पानी भरें। पुराना पानी पेट की समस्याएं, टाइफाइड, दस्त और वायरल जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।
मटके का पानी पीने के फायदे
- नेचुरल ठंडक: यह शरीर का तापमान नियंत्रित करता है और लू से बचाता है।
- पाचन में सहायक: मिट्टी में मौजूद मिनरल्स पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं।
- सिरदर्द और एसिडिटी में राहत: ठंडा और संतुलित पानी सिरदर्द और जलन से राहत दिलाता है।
- इको-फ्रेंडली विकल्प: मटका बिजली नहीं खाता और प्लास्टिक से भी बचाता है।
- एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: मिट्टी के कणों में सूजन को कम करने वाले तत्व पाए जाते हैं।
कौन नहीं पिए मटके का पानी ?
जिन लोगों को गले में खराश, टॉन्सिल, या गंभीर सर्दी-जुकाम की शिकायत होती है, उन्हें मटके का पानी पीने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। क्योंकि प्राकृतिक ठंडक कुछ लोगों के लिए नुकसानदायक भी हो सकती है।
गर्मियों का सबसे सुरक्षित पेय
मटके का पानी गर्मी में न केवल आपको राहत देता है, बल्कि आपकी सेहत का भी ख्याल रखता है, बशर्ते आप इसकी साफ-सफाई और उपयोग में सावधानी बरतें। अगर सही तरीके से इसका प्रयोग किया जाए तो यह एसी से भी ज्यादा राहत देने वाला विकल्प बन सकता है। केवल आपको राहत देता है, बल्कि आपकी सेहत का भी ख्याल रखता है।