Vehicle Number Plates Rule: जब भी आप कोई वाहन खरीदते हैं तो सबसे पहले उसका रजिस्ट्रेशन नंबर (Registration Number) मिलता है जो एक नंबर प्लेट पर लिखा होता है. आमतौर पर लोग इस नंबर को पहचान के रूप में देखते हैं लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि इन नंबर प्लेट्स के रंग अलग-अलग क्यों होते हैं? कोई सफेद होती है कोई पीली कोई हरी तो कोई नीली.
असल में नंबर प्लेट का रंग वाहन की पहचान उपयोग और कानूनी स्थिति के बारे में बहुत कुछ बताता है. आइए एक-एक करके जानते हैं कि किस रंग की नंबर प्लेट किस तरह की गाड़ी पर लगती है और उसका क्या मतलब होता है.
नीली नंबर प्लेट
नीली रंग की नंबर प्लेट बहुत कम दिखाई देती है. क्योंकि यह विशेष प्रकार के वाहनों के लिए होती है. यह उन गाड़ियों पर लगाई जाती है जो विदेशी राजनयिकों (Diplomats) की होती हैं.
- इसमें “CC” लिखा होता है जिसका मतलब है Consular Corps.
- यदि गाड़ी पर UN लिखा है तो यह United Nations के किसी अधिकारी की होती है.
इन गाड़ियों को डिप्लोमैटिक इम्यूनिटी मिलती है यानी इनसे जुड़े व्यक्तियों को कई तरह की कानूनी छूट मिलती है. ऐसे वाहन विदेश मंत्रालय से विशेष अनुमति से चलते हैं.
काली नंबर प्लेट
काली रंग की नंबर प्लेट भी कुछ खास गाड़ियों पर दिखती है और ये गाड़ियां होती हैं कर्मशियल लेकिन सेल्फ ड्रिवन (Self-Drive Rental Vehicles).
- इन्हें कोई भी व्यक्ति बिना कमर्शियल लाइसेंस के चला सकता है.
- आमतौर पर ऐसी गाड़ियां लग्जरी होटलों टूरिज्म कंपनियों या कार रेंटल सर्विस में इस्तेमाल की जाती हैं.
- ये गाड़ियां कंपनी या संस्था की प्राइवेट फ्लीट में भी हो सकती हैं.
काली प्लेट वाली गाड़ियां प्राइवेट दिखती हैं लेकिन कमर्शियल उद्देश्य से इस्तेमाल होती हैं.
पीली नंबर प्लेट
पीले रंग की नंबर प्लेट आमतौर पर टैक्सी ऑटो रिक्शा बस ट्रक जेसीबी और लोडिंग वाहनों पर देखी जाती है.
- यह नंबर प्लेट उन गाड़ियों के लिए होती है जो व्यवसायिक कार्यों के लिए उपयोग की जाती हैं.
- इन गाड़ियों को चलाने के लिए कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य होता है.
- यह रंग यह दर्शाता है कि वाहन से कमाई की जा रही है.
अगर कोई व्यक्ति अपनी गाड़ी से टैक्सी या ट्रांसपोर्ट का काम करना चाहता है तो उसे पीली प्लेट और कमर्शियल लाइसेंस लेना होता है.
हरी नंबर प्लेट
देश में बढ़ते इलेक्ट्रिक वाहन (EV) के चलन के साथ अब हरी रंग की नंबर प्लेट भी दिखने लगी है. यह प्लेट सरकार द्वारा EV को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है.
- अगर गाड़ी व्यवसायिक उद्देश्य से इस्तेमाल हो रही है तो हरी प्लेट पर पीले अक्षर होंगे.
- अगर गाड़ी पर्सनल उपयोग के लिए है तो हरी प्लेट पर सफेद अक्षर होंगे.
इस पहल का उद्देश्य है इलेक्ट्रिक वाहनों को अलग पहचान देना और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा देना.
लाल नंबर प्लेट
कई बार सड़कों पर नई गाड़ियों पर लाल रंग की नंबर प्लेट दिखती है. यह अस्थायी प्लेट होती है जो तब लगाई जाती है जब:
- गाड़ी का स्थायी रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं मिला होता.
- यह प्लेट डीलर द्वारा टीआर (Temporary Registration) के रूप में दी जाती है.
- इसकी एक निश्चित अवधि होती है उसके बाद आपको स्थायी नंबर प्लेट लगवानी होती है.
लाल प्लेट पर लिखा नंबर अस्थायी होता है और यह साफ करता है कि गाड़ी अभी फाइनल रजिस्ट्रेशन प्रोसेस में है.
सफेद नंबर प्लेट
सबसे ज्यादा जो नंबर प्लेट आप सड़कों पर देखते हैं वो होती है सफेद रंग की प्लेट जिस पर काले अक्षर होते हैं.
- यह प्लेट सिर्फ निजी उपयोग की गाड़ियों पर लगाई जाती है.
- इन गाड़ियों को किराए पर नहीं चलाया जा सकता.
- ड्राइवर के पास नॉर्मल (प्राइवेट) ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए.
अगर कोई व्यक्ति सफेद प्लेट वाली गाड़ी को टैक्सी या कमर्शियल काम में लगाता है तो यह कानून का उल्लंघन होता है.
नंबर प्लेट का रंग क्यों है इतना जरूरी?
सरकारी नियमों के अनुसार नंबर प्लेट का रंग और उस पर लिखा टेक्स्ट यह तय करता है कि गाड़ी का इस्तेमाल किस उद्देश्य से हो रहा है. यह:
- रोड सेफ्टी और ट्रांसपोर्ट नियमों के पालन को सुनिश्चित करता है
- ट्रैफिक पुलिस को वाहन की श्रेणी समझने में मदद करता है
- वाहन चालक के लाइसेंस प्रकार को चिन्हित करता है
- टैक्सेशन बीमा और रजिस्ट्रेशन से जुड़ी प्रक्रिया में मददगार होता है