Action On Private School: नए शिक्षा सत्र 2025-26 की शुरुआत से पहले जबलपुर जिले के शिक्षा विभाग ने सख्ती दिखाते हुए 38 निजी प्राथमिक स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी है। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने और बच्चों को बेहतर शैक्षिक वातावरण देने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस निर्णय से शिक्षा क्षेत्र में खलबली मच गई है और साथ ही बाकी निजी स्कूलों के लिए यह सख्त चेतावनी भी है कि अगर नियमों का पालन नहीं हुआ, तो कड़ी कार्रवाई से वे भी नहीं बचेंगे।
जिले में कितने स्कूल कितनों की मान्यता बची ?
जबलपुर जिले में कक्षा पहली से आठवीं तक के कुल 743 निजी स्कूल पंजीकृत हैं। इनमें से इस बार सिर्फ 705 स्कूलों को ही मान्यता दी गई है।
बाकी 38 स्कूलों को मान्यता न दिए जाने के पीछे मुख्य कारण हैं:
- आवश्यक दस्तावेजों की कमी
- भवन और बुनियादी सुविधाओं का अभाव
- शिक्षकों की संख्या और योग्यता में कमी
- छात्रों की जानकारी ऑनलाइन अपडेट न करना
- फायर सेफ्टी और स्वास्थ्य-सुरक्षा मानकों की अनदेखी
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि बच्चों की शिक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
जिला शिक्षा अधिकारी ने दी जानकारी
जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने बताया कि स्कूलों की मान्यता सिर्फ कागजी कार्रवाई नहीं होती, बल्कि इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चों को एक सुरक्षित, स्वच्छ और गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिल रही है।
उन्होंने कहा –
“हम चाहते हैं कि हर बच्चा एक ऐसे स्कूल में पढ़े जहाँ सही शिक्षक हों, पर्याप्त कक्षाएं हों और बच्चों को सभी ज़रूरी सुविधाएं मिलें। अगर कोई स्कूल इन मानकों को पूरा नहीं करता है तो उसकी मान्यता रद्द करना ही एकमात्र विकल्प है।”
किन खामियों के चलते रद्द हुई मान्यता ?
जिन 38 स्कूलों की मान्यता रद्द की गई है, उनके आवेदन में नीचे दी गई खामियां पाई गईं:
- भवन के कागजात और स्वामित्व प्रमाण पत्र अधूरे
- बिना फायर एनओसी के स्कूल संचालन
- कोई शौचालय या अलग शौचालय न होना
- पीने के पानी की सुविधा का अभाव
- प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति न होना
- RTE एक्ट के नियमों का पालन न करना
- स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) का गठन न होना
ये सभी मापदंड शिक्षा विभाग की गाइडलाइन में अनिवार्य माने गए हैं।
बाकी स्कूलों को भी भेजे गए नोटिस
सिर्फ 38 स्कूल ही नहीं, बल्कि कई अन्य स्कूलों को भी नोटिस जारी किए गए हैं। ये वे स्कूल हैं जिन्होंने समय रहते छात्रों की जानकारी ऑनलाइन अपडेट नहीं की है या जिन्होंने वार्षिक रिपोर्ट और आवश्यक दस्तावेज अपलोड नहीं किए हैं।
DEO का कहना है कि:
“जो भी स्कूल समय रहते अपने दस्तावेज पूरे नहीं करेंगे, उनकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है।”
सभी स्कूलों को 15 दिन का समय दिया गया है ताकि वे दस्तावेज अपलोड करें और बुनियादी खामियों को दूर करें।
क्या होगा इन स्कूलों के छात्रों का ?
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मान्यता रद्द होने वाले स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य को लेकर भी पुख्ता व्यवस्था की गई है। इन छात्रों को आस-पास के मान्यता प्राप्त स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए एक ट्रांसफर प्रक्रिया तैयार की गई है।
- संबंधित बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) की निगरानी में यह प्रक्रिया होगी
- छात्रों को नए स्कूल में किसी प्रकार की प्रवेश शुल्क नहीं देनी होगी
- जिन स्कूलों ने फीस ली है, उनके खिलाफ भी शिकायत पर कार्रवाई की जाएगी
अभिभावकों को क्या करना चाहिए ?
अगर आपका बच्चा ऐसे किसी स्कूल में पढ़ता है जिसकी मान्यता रद्द हुई है, तो आप इन बातों का ध्यान रखें:
- DEO कार्यालय में संपर्क करें और वैकल्पिक स्कूलों की सूची लें
- स्कूल से लिए गए फीस की रसीद और अन्य दस्तावेज संभाल कर रखें
- बच्चों को बिना ब्रेक दिए जल्दी नए स्कूल में प्रवेश दिलवाएं
- शिक्षा विभाग की वेबसाइट या स्थानीय BEO कार्यालय से जानकारी लेते रहें
शिक्षा विभाग की चेतावनी सभी नियमों का पालन अनिवार्य
शिक्षा विभाग ने दो टूक कहा है कि अब किसी भी निजी स्कूल को बिना नियमों के संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही RTE एक्ट के तहत मिलने वाली सुविधाओं की भी कड़ाई से जांच की जाएगी।
गुणवत्ता वाली शिक्षा ही सर्वोच्च प्राथमिकता
जबलपुर जिले में 38 स्कूलों की मान्यता रद्द होना यह दिखाता है कि अब शिक्षा विभाग कठोर कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। यह न केवल अभिभावकों को सचेत करता है, बल्कि सभी निजी स्कूलों को भी संदेश देता है कि यदि शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता किया गया, तो कड़ी कार्रवाई तय है।